प्रयागराज में घूमने की सबसे अच्छी कौन सी है


ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल

यहाँ कई क्रीड़ा परिसर हैं, जिनका उपयोग व्यावसायिक एवं अव्यवसायी खिलाड़ी करते रहे हैं। इनमें मदन मोहन मालवीय क्रिकेट स्टेडियम, मेयो हॉल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स एवं बॉयज़ हाई स्कूल एवं कॉलिज जिम्नेज़ियम हैं। जॉर्जटाउन में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का तरणताल परिसर भी है। झलवा (प्रयागराज पश्चिम) में नेशनल स्पोर्ट्स एकैडमी है, जहां विश्व स्तर के जिमनास्ट अभ्यासरत रहते हैं। अकादमी को आगामी राष्ट्रमंडल खेलों के लिये भारतीय जिमनास्ट हेतु आधिकारिक ध्वजधारक चुना गया है।

संगम
इलाहाबाद (प्रयागराज) किला

मध्यकालीन इतिहासकार बदायूनी के अनुसार 1575 में सम्राट अकबर ने प्रयाग की यात्रा की और एक शाही शहर इलाहाबाद की स्थापना की 1583 में अकबर ने प्रयागराज में गंगा और यमुना के संगम पर एक किले का निर्माण प्रारम्म करवाया। यह किला चार भागो में बनवाया गया। पहले हिस्से में 12 भवन एवं कुछ बगीचे बनवाये गयें। दूसरे हिस्से में बेगमोँ और शहजादियों के लिऐ महलो का निर्माण करवाया गया। तीसरा हिस्सा शाही परिवार के दूर के रिश्तेदारों और नैकरों के लिऐ बनवाया गया और चौथा हिस्सा सैनिको के लिये बनवाया गया। इस किले में 93 महर, 3 झरोखा,25 दरवाजें, 277 इमारतें, 176 कोठियाँ 77 तहखानें व 20 अस्तबल और 5 कुएं हैं।

उल्टा किला यह किला झूसी में स्थित है।

स्वराज भवन

स्वराज भवन प्रयागराज में स्थित एक ऐतिहासिक भवन एवं संग्रहालय है। इसका मूल नाम 'आनन्द भवन' था। इस ऐतिहासिक भवन का निर्माण मोतीलाल नेहरू ने करवाया था। 1930 में उन्होंने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। इसके बाद यहां कांग्रेस कमेटी का मुख्यालय बनाया गया। भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का जन्म यहीं पर हुआ था। आज इसे संग्रहालय का रूप दे दिया गया है। परिचय 1899 में मोतीलाल नेहरु ने चर्च लेन नामक मोहल्ले में एक अव्यवस्थित इमारत खरीदी। जब इस बंगले में नेहरु परिवार रहने के लिये आया तब इसका नाम आनन्द भवन रखा गया। पुरानी इमारत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को सौँप दी गयी। 1931 में पं मोतीलाल नेहरु की गूजरने के बाद उनके पुत्र जवाहर लाल नेहरु ने एक ट्रस्ट बना कर स्वाराज भवन भारतीय जनता के ज्ञान के विकास स्वास्थ्य एंव सामाजिक आर्थिक उत्थान के लिये समर्पित कर दिया। इस इमारत के एक हिस्से में अस्पताल जो की आज कमाला नेहरु के नाम से जाना जाता हैं। और शेष अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के उपयोग के लिये था। 1948 से 1974 तक इस ईमारत का उपयोग बच्चोँ की शैक्षणिक गतिविधियोँ विकाय के लिये किया जता रहा और इसमें एक बाल भवन कि स्थापना कि गयी। बाल भवन में शैक्षिक यथा संगित विग्यान खेल आदि के विषय में बच्चोँ को सिखाया जता था। 1974 में स्वंगीय प्रधानमत्री इंदिरा गाँधी ने जवाहर लाल मेमोरियल फण्ड बना कर यह इमारत 20 वर्ष के लियें उसे पट्टे पर दे दिया। और उस इमारत में बाल भवन चलता रहा। किन्तु अब बाल भवन को स्वाराज भवन के ठीक बगल में स्थित एक अन्य मकान स्थापित कर दिया गया। और स्वाराज भवन को एक सग्रहालय के रूप में विकसित कर दिया गया। स्वाराज भवन एक बड़ा भवन हैं। और भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दिनोँ का एक जीता जागता धरोहर हैं। यही वह स्थान हैं जहा पं जवाहरलाल नेहरु ने अपना बचपन बिताया। यहीँ से वो राजनिति कि प्रारम्भिक शिक्षा लेने के बाद में भारतीय स्वाधिनता संग्राम में शामिल हुये। जवाहरलाल नेहरु ने 1916 में अपने वैवाहिक जीवन का शुभ आरम्भ इसी भवन से किया। इसके अतिरिक्त यह राजनिति गतविधियोँ का एक मंच भी रहा। 1917 में उत्तर प्रदेश होम रुम लीन के अध्यक्ष मोतीलाल नेहरु एवं महामंत्री जवाहरलाल नेहरु थे। 19 नवम्बर 1919 को इंदिरा गाँधी का जन्म भी इसी भवन में हुआ। 1920 में आल इंडिया खिलाफत इसी भवन में बनायी गयी। भारत का संविधान लिखने के लिये चुनी गयी आल पार्टी का सम्मेलन भी इसी स्वाराज भवन में हुआ था।

आनन्द भवन, प्रयागराज

मोतीलाल नेहरु ने इसकी नींव 1926 रखी। वास्तुकला की द्ष्टि से यह भवन अपने आप में अनोखा है। यह दो मंजिली इमारत है आनन्द भवन भारतीय स्वाधीनता संघर्ष की एक ऐतिहासिक यादगार हैं और ब्रिटिश शासन के विरोध में किये गये अनेक विरोधों, कांग्रेस के अधिवेशनों एवं राष्टीय नेताओँ के अनेक सम्मेलनों से इसका सम्बन्ध रहा है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय प्रयागराज

यह मूल रूप से भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम 1861 के सद्र दीवानी अदालत जगह से आगरा में 17 मार्च 1866 को उत्तरी-पश्चिमी प्रांतों के लिए न्यायाधिकरण के उच्च न्यायालय के रूप में स्थापित किया गया था। सर वाल्टर मॉर्गन, बैरिस्टर पर कानून उत्तर - पश्चिमी प्रदेशों के उच्च न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

स्थान 1869 में प्रयागराज में स्थानांतरित किया गया और नाम तदनुसार 11 से मार्च 1919 महकमा के उच्च न्यायालय इलाहाबाद में बदल गया था। 2 नवम्बर 1925 को, अवध न्यायिक आयुक्त के न्यायालय लखनऊ में अवध चीफ कोर्ट ने अवध सिविल न्यायालय अधिनियम 1925 की गवर्नर जनरल की मंजूरी के साथ संयुक्त प्रांत विधानमंडल द्वारा अधिनियमित द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था।

25 फ़रवरी 1948 को, उत्तर प्रदेश विधान सभा में राज्यपाल का अनुरोध गवर्नर जनरल के लिए विधानसभा के प्रभाव है कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद में महकमा और अवध बुज्मुख्य न्यायालय के समामेलित हो अनुरोध सबमिट संकल्प पारित कर दिया। नतीजतन, अवध के मुख्य न्यायालय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के साथ समामेलित किया गया था। जब उत्तरांचल के राज्य उत्तर प्रदेश के बाहर 2000 में बना था, इस उच्च न्यायालय उत्तरांचल में पड़ने वाले जिलों पर अधिकार क्षेत्र रह गए हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय लोहा मुंडी, आगरा, भारत के खान साहब निजामुद्दीन द्वारा बनाया गया था। उन्होंने यह भी उच्च न्यायालय के लिए पानी के फव्वारे का दान दिया। पातालपुरी मन्दिर किले के अन्दर यह मंदिर भूगर्भ में स्थित हैं। और अछयवट इस मन्दिर के अन्दर ही हैं। यह मंदिर अत्यन्त ही प्राचिन हैं। ऐसा विश्वास किया जाता हैं। कि भगवान राम ने इस मन्दिर कि यात्रा की थी।

रानी महल

अकबर की राजपूत पत्नी जोधाबाई का महल जो रानी महल के नाम से जाना जाता हैं। यह महल किले में स्थित हैं।

आल सेण्ट्स कैथैड्रिल

शहर के सिविल लाइन में स्थित यह चर्च पत्थर गिरजाघर के नाम से प्रसिद्द है। इस चर्च को देखने से प्रतित होता हैं। कि मानोँ हम किसी रोमन साम्राज्य का राजगृह देख रहे हैं। 1879 में बन कर तैयार हुये इस चर्च का नक्शा सुप्रसिद्ध अंग्रेज वास्तुविद विलियन इमरसन ने बनवाया था। यह चर्च चौराहे के बीचो-बीच स्थित हैं।हम लोग यहाँ घूम भी सकते हैं

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